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श्रीमद भागवत महापुराण - प्रथम स्कन्ध: - द्वितीय अध्याय:
श्रीमद भागवत महापुराण - प्रथम स्कन्ध: - प्रथम अध्याय:
श्रीमद भागवत महापुराण महात्म - चतुर्थ अध्याय Shrimad Bhagwat Mahapuran Mahatam- Chapter - 4
श्रीमद भागवत महापुराण महात्म - तृतीय अध्याय Shrimad Bhagwat Mahapuran Mahatam - Chapter - 3
श्रीमद भागवत महापुराण महात्म - द्वितीय अध्याय Shrimad Bhagwat Mahapuran Mahatam - Chapter - 2
श्रीमद भागवत महापुराण महातम- द्वितीय अध्याय
श्रीमद भागवत महापुराण महात्म - प्रथम अध्याय Shrimad Bhagwat Mahapuran Mahatam - Chapter - 1
श्रीमद भागवत महात्म - प्रथम अध्याय
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddha Kunjika Stotram)
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddha Kunjika Stotram)
शिव उवाच-
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत्॥ ।1।
अर्थ — शिव जी बोले देवी सुनो -
मैं उत्तम कुंजिका स्तोत्र का उपदेश करूंगा, जिस मन्त्र के प्रभाव से देवी का जप (पाठ) सफल होता है।
अरी तूने तो मेरा धर्म भ्रष्ट कर दिया
जानिए मां बगलामुखी की कथा
धर्म के नाम पर पापा ये कैसे.........
एक गिद्ध का बच्चा अपने बाप से बोला "पापा आज मुझे इनसान का गोशत खाना हैं । गि द्ध बोला " ठीक हैं बेटा शाम को ला दुगा। गिद्ध उडा ओर एक सुअर का गोशत ले कर आया।
गिद्ध का बच्चा बोला "पापा ये तो सुअर का गोशत है , मुझे तो इनसान का गोशत खाना हैं । गिद्ध बोला " रूक शाम तक मिल जाऐगा । गिद्ध फिर उडा ओर एक मरी गाय का गोशत ले कर आया । गिद्ध का बच्चा बोला "पापा ये तो गाय का गोशत है , मुझे तो इनसान का गोशत खाना हैं । गिद्ध उडा ओर उसने सुअर का गोशत एक मस्जिद के आसपास और गाय का गोशत मंदिर के पास फेक दिया। थोडी देर के बाद वहाँ ढेर सारी इनसानो की लाशे बिछ गई ।