हाथ देखने का समान्य नियम तथा क्रम
- हाथ देखने का सर्वश्रेष्ठ समय प्रातः सूर्योदय से लेकर चार घंटे बाद तक का है उस समय रेखाए स्पष्ट होती है और दिन के उजाले में हाथ का रंग और रेखाओ का रंग ठीक - ठीक दिखाई देता है।
- अगर दिन का उजाला नही मिल सकता हो, तो पर्याप्त प्रकाश में हाथ देखे, वह सूर्य का हो या बिजली का प्रकाश हो
- हाथ देखना कहाँ से आरंभ करे ताकि कोई लक्षण चूक न जाए, इसलिए अपनी सुविधा के लिए एक कागज पर वह क्रम लिखकर रख ले जिसके अनुसार हाथ देखना है।
- अनेक बार सवाली के प्रश्न का उत्तर तुरंत ही रेखाओ से प्रकट हो जाता है लेकिन कई बार प्रश्न का उत्तर स्पष्ट नही होता है, उदाहरणत: हाथ कर्मठ व्यक्ति का है या सोच -विचार करने वाले का या कर्मठता और विचारशीलता का संगम है फिंगर प्रिंट्स बताते है कि व्यक्ति अपनी हठ पर अड़ने वाला है या मान - मनोवल वाला है इसी प्रकार नाखून से भी व्यक्तित्व का पता चलता है पर्वत भी संकेत देते है उन सभी संकेतो को समझकर अस्पष्ट प्रश्न का उत्तर खोजना पड़ता है
- यह प्रश्न हमेशा पामिस्ट के सामने रहता है कि सबसे पहले हाथ देखना कहाँ से शुरू किया जाए इस विषय में हमारा मत है कि सारे हाथ पर उचटती निगाह डालकर देखे कि हाथ में शुभ लक्षण कौन - सा है जो भी रेखा अच्छी हो या जो भी पर्वत अच्छे लक्षणों से युक्त हो, पहले उसका फल बताए
- मुख्य तथा माध्यमिक रेखाओ में बीती घटनाए , सवाली को पता लगे कि हाथ समझ में आ रहा है यदि दो - तीन घटनाए बताने पर भी सवाली इन्कार करे तो दो कारण हो सकते है , या तो हाथ समझ नही आया या सवाली झूठ बोल रहा है दोनों दशाओ में वह हाथ देखना बंद कर देना चाहिए क्योकि इससे अपशय होता है।
- यदि पामिस्ट को भी कोई हाथ समझ में नही है आपके हस्त पठन बंद करने का फल यह होगा कि यदि सवाली सच छिपा रहा होगा तो आपके इस इन्कार से सच बोलने लगेगा उसके बाद हाथ को विस्तार से देखना चाहिए ।
- कई हाथो में प्रकटत: कोई शुभ लक्षण नही होता कि जिससे बात शुरू की जा सके, किन्तु यत्न करने से शुभ लक्षण मिल जाते है उसी पर जोर देकर पामिस्ट सवाली का सबसे पहले फल बताए इससे सवाली की आशा बंधेगी शुभ लक्षण बताने के बाद अन्य अशुभ लक्षणों का फल बताना चाहिए किन्तु अशुभ बताते समय उचित शब्दों का चुनाव करे कडवी दवाई को मीठा लेप लगाकर या उसे कैप्सूल में रखकर दिया जाता है।
- यदि एक हाथ में लक्षण अशुभ है , दूसरे में शुभ है तो शुभ ही बताना चाहिए यदि दोनों हाथ में अशुभ कह रहे है तो अशुभ बात बताते समय यह भी बता देना चाहिए कि अशुभ को शुभ में बदलने के वैज्ञानिक उपाय भी है, सवाली को यह अवश्य बताना चाहिए कि रेखाए बदलती रहती है।
- फिंगर प्रिंट्स नही बदलते है।
- अब आप सवाली से कह सकते है कि अब तक हमने आपके हाथ का सामान्य हस्त पठन किया है, यदि आपका कोई विशेष प्रश्न रह गया हो तो पूछ ले विशेष प्रश्न का उत्तर यदि हाथ पर स्पष्ट न हो तो हाथ पर नजर डालकर देखे कि कौन सी रेखा या लक्षण छूट गया है, जिससे सवाली के प्रश्न का उत्तर मिल सकता है स्पष्ट उत्तर के लिए दोनों हाथ देखने चाहिए।
- यदि प्रश्न का उत्तर निराशाजनक हो तो उसे स्पष्ट बताने की बजाय मीठी चाशनी में लपेटकर बताए निराश व्यक्ति में आशा का संचार करना पामिस्ट का कर्तव्य है।
- यदि कोई सवाली अपना प्रश्न स्पष्ट बताने की बजाय गोलमोल बात करे तो उसे बता दे कि कोई डॉक्टर रोग के पूरे लक्षण समझे बिना दवाई नही देता ठीक से भविष्य पढने के लिए सारी स्थिति को बताना सवाली के अपने लाभ के लिए है, प्रश्न चाहे एक हो या दो, हाथ के पूरे लक्षण देखने से सही उत्तर मिलता है, यदि उसका प्रश्न व्यापार और रोजगार के विषय में है, तो साथ ही यह भी पूछे कि उसके सामने सुझाव या प्रस्ताव क्या है, उन्ही सुझावों और साधनों की सीमा में उत्तर देना हितकर है
- यदि आप वैज्ञानिक पामिस्ट्री के अनुसार हाथ देखना चाहते है तो आपका व्यवहार एक डॉक्टर जैसा , एक मनोवौज्ञानिक जैसा होना चाहिए कोई भी डॉक्टर अपने रोगी का रोग समझने के लिए उसकी पूरी हकीकत सुनता है , फिर दवाई सुझाता है जरूरत पडती है तो ब्लड -टेस्ट, टट्टी - पेशाब टेस्ट , एक्सरे आदि देखता है। जो पामिस्ट के पास आता है, उसे कोई परेशानी होती है, उसका इलाज पामिस्ट को करना है किन्तु वह पामिस्ट के पास आकर पहेली की तरह सब कुछ बुझवाना चाहता है बूझना ठीक भी निकल सकता है, गलत भी हो सकता है लेकिन हम ऐसा रिस्क नही लेते हमने अपने कंसल्टेशन रूम में एक नोट टाइप कराकर चिपकाया हुआ है, जिस पर लिखा है:
"परमिस्ट के पास पहेली बनकर मत आइए अपना प्रश्न और समस्या स्पष्ट बताइए इससे आपका भविष्य पढना सुगम होगा "
- किसी भी सवाली का हाथ किसी अन्य व्यक्ति के सामने मत पढ़े, चाहे वह उसका घनिष्ठ मित्र या परिवार का व्यक्ति , जीवनसाथी (पति या पत्नी) ही क्यों न हो, क्योकि हाथ में ऐसे गुप्त भेद छिपे रहते है , जिनका किसी अन्य के सामने खुलना व्यक्ति पसंद नही करता, किन्तु अकेले में वह ऐसे रहस्यों को स्वीकार कर लेता है स्वार्थ , प्रेम , कामभाव आदि अनेक विषय व्यक्ति किसी अन्य के सामने स्वीकार नही करता इससे पामिस्ट को लगता है कि वह कही दिशा तो नही भटक गया इसलिए सवाली और पामिस्ट दोनों के लिए अच्छा है कि हस्त पठन के समय तीसरा व्यक्ति उपस्थित न हो यह सारा विवरण सवाली को बताने की जरूरत नही, उसे केवल यही बताना है कि हमारा नियम है कि किसी के सामने हाथ नही देखते सवाली लडकी या स्त्री हो तो कभी - कभी अकेलेपन का नियम तोडना भी पड़ सकता है ऐसी देशा में किसी अन्य की मौजूदगी में उतना ही बताए, जितना सवाली स्वीकार कर सके।
- पर्वत आदि हाथ के लक्षणों को देखने से प्रवृति का पता चलता है उनमें सवाली की रूचि नही होती। कोई सवाली यह जानने नही आता कि उसमे कामभाव की कितनी मात्रा है या उसमे अहंभाव की मात्रा कम है या अधिक है अथवा उसकी चतुरता धोखे की सीमा को छू रही है या उचित - अनुचित पर आधारित है, इत्यादि । यह सारी जानकारी पामिस्ट के अपने समझने के लिए सवाली के प्रश्नों का उत्तर देते समय यह जानकारी पामिस्ट के काम में आती है, अन्यथा सवाली तो अपने प्रश्न का दो टूक उत्तर चाहता है।
- वास्तविक हाथ की तुलना में हाथ के प्रिंट में रेखाए अधिक स्पष्ट दिखाई देती है इसलिए हाथ का प्रिंट लेकर उसका अध्ययन करना चाहिए पर्वतों का उभार , उनकी अविकसित अवस्था , हथेली का रंग , ये प्रिंट में नही आते, विवाह रेखा अर्थात कामभाव की रेखा नही आम तौर पर प्रिंट में नही आती इन सबको पहले से नोट कर लेना चाहिए। इसके पश्चात अंगूठे व मणिबंध की रेखाओ सहित पूरे हाथ का प्रिंट लेना चाहिए।