Search This Blog

Showing posts with label Durga Saptashati. Show all posts
Showing posts with label Durga Saptashati. Show all posts

देवी कवच (Devi Durga Kavach)




॥ देवी कवच ॥



विनियोग –


ॐ अस्य श्रीचण्डीकवचस्य ब्रह्मा ऋषिः , अनुष्टुप् छन्दः , चामुण्डा देवता, अङ्गन्यासोक्तमातरो बीजम् , दिग्बन्धदेवतास्तत्त्वम् , श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थे सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः ॥



ॐ नमश्चण्डिकायै ॥

अर्थ – ॐ चण्डिका देवी को नमस्कार है।



[ मार्कण्डेय उवाच ]


ॐ यद्गुह्यं परमं लोके सर्वरक्षाकरं नृणाम् ।
यन्न कस्यचिदाख्यातं तन्मे ब्रूहि पितामह ॥ १ ॥

अर्थ – [ मार्कण्डेय जी ने कहा ] पितामह ! जो इस संसार में परम गोपनीय तथा मनुष्यों की सब प्रकार से रक्षा करने वाला है और जो अब तक आपने दूसरे किसी के सामने प्रकट नहीं किया हो, ऐसा कोई साधन मुझे बताइये ।

कीलक स्त्रोतम (Kilak Stotram in Hindi & Sanskrit)




 ॥ अथ कीलकम् ॥


ॐ इस श्रीकीलक मंत्र के शिव ऋषि, अनुष्टुप् छन्द, श्री महासरस्वती देवता हैं। 
श्री जगदम्बा की प्रीति के लिए सप्तशती के पाठ के जप में इसका विनियोग किया जाता है। 
ॐ नम श्चण्डिकायै॥


ॐ चण्डिका देवी को नमस्कार है। 
मार्कण्डेय जी कहते हैं – विशुद्ध ज्ञान ही जिनका शरीर है, जो कल्याण-प्राप्तिके हेतु हैं तथा अपने मस्तक पर अर्ध चन्द्र का मुकुट धारण करते हैं, उन भगवान शिव को नमस्कार है ॥1॥


मन्त्रों का जो अभिकीलक है, अर्थात् मन्त्रों की सिद्धि में विघ्न उपस्थित करने वाले शाप रूपी कीलक का जो निवारण करने वाला है, उस सप्तशती स्तोत्र को सम्पूर्ण रूप से जानना चाहिये। (और जानकर उसकी उपासना करनी चाहिये) यद्यपि सप्तशती के अतिरिक्त अन्य मन्त्रों के जप में भी जो निरन्तर लगा रहता है, वह भी कल्याण का भागी होता है ॥2॥

अर्गला स्तोत्रम (Argala Stotram) हिंदी अर्थ सहित

 ॥ अर्गला स्तोत्रम ॥



विनियोग – ॐ अस्य श्रीअर्गलास्तोत्रमन्त्रस्य विष्णुर्ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः , श्रीमहालक्ष्मीर्देवता, श्रीजगदम्बाप्रीतये सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः ॥


ॐ नमश्चण्डिकायै ॥

[ मार्कण्डेय उवाच ]


अर्थ – ॐ चण्डिका देवी को नमस्कार है।

[ मार्कण्डेय ऋषि कहते हैं – ]


ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ॥ 1 ॥

जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि ।

जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते ॥ 2 ॥

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddha Kunjika Stotram)



 सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddha Kunjika Stotram)

शिव उवाच-

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।

येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत्॥  ।1।

 

अर्थ — शिव जी बोले देवी सुनो -

मैं उत्तम कुंजिका स्तोत्र का उपदेश करूंगा, जिस मन्त्र  के प्रभाव से देवी का जप (पाठ) सफल होता है।

Translate