*कन्यादान का वास्तविक अर्थ*
कन्यादान एक पवित्र और महत्वपूर्ण हिंदू विवाह संस्कार है, जिसमें पिता अपनी पुत्री को वर के हाथों में सौंपते हैं। यह संस्कार विवाह के दौरान किया जाता है, जब पिता अपनी पुत्री को वर के साथ बैठाकर, उनके हाथों में हाथ देकर, और एक पवित्र मंत्र का उच्चारण करके कन्यादान करते हैं। यह एक भावनात्मक और आध्यात्मिक क्षण होता है, जिसमें पिता अपनी पुत्री के भविष्य की जिम्मेदारी वर को सौंपते हैं, जो कन्यादान के माध्यम से अब उसकी पत्नी बन जाती है। कन्यादान से वर और वधू के बीच एक पवित्र और आध्यात्मिक संबंध स्थापित होता है। साथ ही कन्यादान से दो परिवारों के बीच एक पवित्र और स्थायी संबंध स्थापित होता है। कन्यादान से समाज में स्थिरता और सामाजिक संरचना को बनाए रखने में मदद मिलती है।