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हस्त रेखा - प्रेम प्रसंग और विवाह रेखा (Marriage Line in Palmistry in Hindi) – संपूर्ण गाइड


प्रेम प्रसंग और विवाह रेखा

प्रेम प्रसंग और शादी से जुड़ी बातें जानने के लिए हथेली की विवाह रेखा का अध्ययन मुख्य रूप से किया जाता है।
हस्तरेखा ज्योतिष में विवाह रेखा से किसी व्यक्ति के प्रेम जीवन, शादी के समय और वैवाहिक जीवन के सुख-दुख का अनुमान लगाया जाता है। 

✅ विवाह रेखा का स्थान और महत्व
  • विवाह रेखा सबसे छोटी उंगली (Little Finger) के नीचे, बुध पर्वत पर होती है।
  • इसे आड़ी दिशा में देखा जाता है।
  • यह एक या एक से अधिक भी हो सकती है।
  • विवाह रेखा से प्रेम प्रसंग, शादी की उम्र, जीवनसाथी का स्वास्थ्य और वैवाहिक जीवन की स्थिति का आकलन किया जाता है।

हस्तरेखा की अन्य मुख्य रेखाएं - जीवन रेखा,  भाग्य रेखा, हृदय रेखा,  मणिबंध रेखा, सूर्य रेखा, विवाह रेखा

इनमें कुछ रेखाएं समय के साथ बदल सकती हैं, पर विवाह रेखा आमतौर पर स्थायी मानी जाती है।

विवाह रेखा और शादी की उम्र
  • विवाह रेखा और हृदय रेखा के बीच की दूरी ही विवाह की उम्र का संकेत देती है।
  • दूरी कम हो तो कम उम्र में विवाह की संभावना।
  • दूरी ज्यादा हो तो देर से विवाह के योग।
✅ विवाह रेखा की संख्या और मतलब
  • केवल एक गहरी और स्पष्ट रेखा – सच्चा प्रेम, एक विवाह, पति/पत्नीव्रता।
  • दो समान रेखाएं – दो विवाह या दो प्रेम संबंध, दोनों में समान भाव।
  • बाएं हाथ में दो और दाएं में एक – पत्नी श्रेष्ठ, प्रेम करने वाली।
  • दाएं में दो और बाएं में एक – पत्नी कम ध्यान रखने वाली।

✅ विवाह रेखा की लंबाई और दिशा
  • लंबी और सूर्य पर्वत तक जाए – समृद्ध, प्रतिष्ठित जीवनसाथी।
  • ऊपर की ओर मुड़कर छोटी उंगली के तल तक पहुंचे – विवाह में बाधाएं, अविवाहित रहने के योग।
  • नीचे झुकी और हृदय रेखा को काटे – जीवनसाथी के स्वास्थ्य में गंभीर समस्या या मृत्यु का संकेत।
✅ विवाह रेखा की गहराई और मोटाई
  • गहरी और चौड़ी शुरुआत – प्रेम में गहराई, शुरू में मजबूत रिश्ता।
  • आगे चलकर पतली हो – समय के साथ प्रेम में कमी।
✅ विवाह रेखा में शाखाएं और अन्य चिह्न

शाखाएं और विभाजन
  • अंत में दो शाखाएं (सांप की जीभ जैसी) – पति-पत्नी में वैचारिक मतभेद।
  • शुरुआत में दो शाखाएं – शादी टूटने का डर।
द्वीप (Island)
  • शुरुआत में द्वीप – शादी में धोखा, जीवनसाथी के खराब स्वास्थ्य के संकेत।

वर्ग (Square)
  • वर्गाकार चिन्ह – जीवनसाथी के स्वास्थ्य की समस्याओं का संकेत।
तिल (Mole)
  • रेखा की शुरुआत में तिल – जीवनसाथी के बुरे स्वास्थ्य का संकेत।
  • शुक्र पर्वत पर तिल – वैवाहिक जीवन में विवाद, नौकरी और सरकारी मामलों में परेशानी।
त्रिशूल
  • अंत में त्रिशूल जैसा चिह्न – गहरा प्रेम, समय के साथ उदासीनता भी आ सकती है।

✅ विवाह रेखा में कटाव और टूटना
  • विवाह रेखा बीच में से टूटी हो – विवाह के टूटने या अलगाव का संकेत।
  • बुध पर्वत से आकर कोई रेखा विवाह रेखा को काटे – वैवाहिक जीवन में समस्याएं।
✅ गुरु पर्वत और प्रेम विवाह के संकेत
  • गुरु पर्वत (तर्जनी के नीचे) पर क्रॉस का चिन्ह – प्रेम विवाह के योग।
  • हृदय रेखा गुरु क्षेत्र तक पहुंचे या ऊपर उठे – भावुकता, प्रेम विवाह की संभावना।
✅ शुक्र पर्वत और प्रेम जीवन
  • अंगूठे के नीचे का क्षेत्र – शुक्र पर्वत।
  • उभरा और विकसित शुक्र पर्वत – विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण, वासनात्मक प्रेम।
  • अधिक उभरा हुआ – तीव्र कामुकता और प्रेम में उत्सुकता।
  • शुक्र पर्वत पर तिल – वैवाहिक जीवन में समस्याएं, विवाद, नौकरी में अड़चनें।
विवाह रेखा से जुड़े कुछ खास संकेत
  • यदि रेखा बहुत स्पष्ट और सीधी हो – मजबूत, स्थायी रिश्ता।
  • अगर ऊपर की ओर मुड़ जाए – विवाह में रुकावटें।
  • अगर नीचे झुके और हृदय रेखा को काटे – साथी की मृत्यु की आशंका।
विवाह रेखा हस्तरेखा ज्योतिष की एक महत्वपूर्ण रेखा मानी जाती है। इससे प्रेम संबंध, शादी की उम्र, जीवनसाथी का स्वास्थ्य और वैवाहिक जीवन के सुख-दुख का आकलन करने की परंपरा है।

ध्यान दें – यह सब पारंपरिक मान्यताएं हैं और इनके वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं। इसे केवल एक दिशा या सांस्कृतिक संदर्भ में ही देखें।


विवाह रेखा से जुड़ी खास बातें


1. यदि किसी व्यक्ति के हाथ में विवाह रेखा और हृदय रेखा के बीच की दूरी बहुत ही कम है तो ऐसे लोगों का विवाह कम उम्र में होने की संभावनाएं होती हैं। आमतौर पर विवाह रेखा और हृदय रेखा के बीच की दूरी ही व्यक्ति के विवाह की उम्र बताती है। इन दोनों रेखाओं के बीच जितनी अधिक दूरी होगी विवाह उतने ही अधिक समय बाद होता है। ऐसी संभावनाएं काफी अधिक रहती हैं।


2. यदि किसी पुरुष की केवल एक ही रेखा हो और वह स्पष्ट तथा अन्त तक गहरी हो तो ऐसा जातक एक या पति या पत्नीव्रता होता है और वह अपनी पत्नी या पति से अत्यधिक प्रेम भी करता है।


3. यदि किसी व्यक्ति की हथेली में विवाह रेखा लम्बी और सूर्य पर्वत तक जाने वाली है तो यह संपन्न और समृद्ध जीवन साथी का प्रतीक होता है।


4. दोनों हाथों में विवाह रेखा समान लंबाई की और समान शुभ लक्षणों वाली हो तो ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन सुखी होता है।


5. विवाह रेखा अपने उद्गम स्थान पर गहरी तथा चौड़ी हो, परन्तु आगे चलकर पतली हो गई हो तो यह समझना चाहिए कि जातक या जातिका प्रारम्भ में अपनी पत्नी या पति से अधिक प्रेम करती है, परन्तु बाद में चलकर उस प्रेम में कमी आ गई है।


6. यदि किसी व्यक्ति के दोनों हाथों में विवाह रेखा की शुरुआत में दो शाखाएं हों तो उस व्यक्ति की शादी टूटने का डर रहता है।


7. यदि किसी स्त्री के हाथ में विवाह रेखा की शुरुआत में द्वीप का चिह्न हो तो ऐसी स्त्री की शादी किसी धोखे से होने की संभावनाएं रहती हैं। साथ ही, यह निशान जीवन साथी के खराब स्वास्थ्य की ओर भी इशारा करता है।


8. यदि किसी व्यक्ति के हाथ में विवाह रेखा बहुत अधिक नीचे की ओर झुकी हुई दिखाई दे रही है और वह हृदय रेखा को काटते हुए नीचे की ओर चले जाए तो यह शुभ लक्षण नहीं माना जाता है। ऐसी रेखा वाले व्यक्ति के जीवन साथी की मृत्यु उसकी मौजूदगी में ही हो सकती है।


9. यदि बुध पर्वत से आई हुई कोई रेखा विवाह रेखा को काट दे, तो व्यक्ति का वैवाहिक जीवन परेशानियों भरा होता है, साथ ही यदि विवाह रेखा बीच में टूटी हो तो यह विवाह टूटने का संकेत माना जाता है|


10. यदि विवाह रेखा के अंत में किसी सांप की जीभ के समान दो शाखाएं हों जाती है, तो यह पति-पत्नी के बीच वैचारिक मतभेद पैदा करती है।


11. यदि किसी पुरुष के बाएं हाथ में दो विवाह रेखा हैं और दाएं हाथ में एक विवाह रेखा है तो ऐसे लोगों की पत्नी श्रेष्ठ होती है। इन लोगों की पत्नी बहुत अधिक प्रेम करने वाली और पति का ध्यान रखने वाली होती है।


12. यदि दाएं हाथ में दो विवाह रेखा हैं और बाएं हाथ में एक विवाह रेखा है तो ऐसे लोगों की पत्नी अधिक ध्यान रखने वाली नहीं होती है।


13. यदि किसी व्यक्ति के हाथ में विवाह रेखा ऊपर की ओर मुड़ रही हो और छोटी अंगुली के तल तक पहुंच जाए तो ऐसे व्यक्ति के विवाह में काफी परेशानियां आती हैं। आमतौर पर ऐसी विवाह रेखा वाले इंसान का विवाह होना बहुत मुश्किल होता है, इन लोगों के अविवाहित रहने की संभावनाएं काफी अधिक होती हैं।


14. यदि विवाह रेखा के अंत में त्रिशूल के समान चिह्न दिखाई दे रहा है तो व्यक्ति अपने जीवनसाथी से बहुत अधिक प्रेम करने वाला होता है। इनके आपस का प्रेम अत्यधिक होता है। ऐसा भी हो सकता है कि कुछ वर्षों बाद ऐसा व्यक्ति जीवन साथी के प्रति उदासीन भी हो जाता है।


15. यदि किसी व्यक्ति की हथेली में विवाह रेखा के प्रारंभ में तिल है तो यह जीवन साथी के बुरे स्वास्थ की ओर इशारा करता है।


16. यदि विवाह रेखा के आरंभ में द्वीप चिन्ह हो तो विवाह धोखे से होने की संभावनाएं रहती हैं। ये निशान जीवन साथी के खराब स्वास्थ की ओर इशारा करता है।


17. यदि विवाह रेखा किसी वर्ग के समान चिन्ह दिखाई दे रहा है तो यह जीवन साथी के खराब स्वास्थ का संकेत देता है।


18. अगर आपके गुरु पर्वत पर क्रास का साइन है और आपका विवाह रेखा भी एकदम स्पष्ट और सीधा है तो यह आपके प्रेम विवाह होने के योग को बताता है।


19. अगर हाथ में हृदय रेखा गुरु के क्षेत्र तक पहुंचती है या फिर ऊपर उठी होती है तो यह भावुकता की ओर इशारा करता है, ऐसे जातक प्रेम विवाह ही करेगा।


20. शुक्र क्षेत्र की स्थिति अँगूठे के निचले भाग में होती है। जिन व्यक्तियों के हाथ में शुक्र पर्वत अधिक उठा हुआ होता है। उन व्यक्तियों का स्वभाव विपरीत सेक्स के प्रति तीव्र आकर्षण रखने वाला तथा वासनात्मक प्रेम की ओर झुकाव वाला होता है।


21. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र पर्वत पर तिल होना शुभ नहीं माना जाता है। जिन लोगों की हथेली में शुक्र पर्वत पर तिल होता है उन्हें वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पार्टनर के साथ छोटी-छोटी बातों पर विवाद होता रहता है। साथ ही सरकारी मामलों एवं नौकरी में आपको परेशानी का सामना करना पर सकता है।




Palmistry - जाने हाथ देखते समय कौन सा हाथ देखे दायाँ हाथ देखे या बायां ?

 


हाथ देखते समय सामान्यतः  यह प्रश्न  उठता है कि हाथ देखते समय दायाँ हाथ देखा जाए या बायाँ ?

हाथ देखने के एक से अधिक मत है जो इस प्रकार से है -

प्राचीन वैदिक ज्योतिष  आधारित भारतीय सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार स्त्री का बायाँ हाथ और पुरुष का दायाँ हाथ देखने का निर्देश दिया गया है।  प्राचीन शास्त्र मे यह भी संकेत मिलता है कि स्त्री यदि काम काजी महिला हो यानी वह आत्मनिर्भर हो तो उसका दायाँ हाथ देखा जाना चाहिए, इसके विपरीत  यदि कोई पुरुष बेरोजगार हो या आत्मनिर्भर न हो तो उसका बायाँ हाथ देखा जाना चाहिए।

PALMISTRY - हाथों में व्दीप (Island) चिन्ह का फल और प्रभाव

हाथों में व्दीप (Island) चिन्ह का फल और प्रभाव 

हाथ की मुख्य रेखाओं व सहायक रेखाओं के अलावा हाथों में व्दीप (Island) हस्त चिन्ह भी हाथों में मौजूद होते है, जिनका हाथ के अध्ययन एवं विश्लेषण में बहुत महत्व है।  यह चिन्ह करतल, अंगुलियों, मणिबंध रेखाओं या अंगूठे के किसी भी भाग पर उपस्थित हो सकते है। यह हस्त चिन्ह की उपस्थिति में हस्तरेखाओं की प्रकृति व गृह क्षेत्रों के प्रभाव आदि पर प्रभाव पड़ता है।

Palmistry - सन्तान रेखा एवं फल

सन्तान रेखाएँ बुधस्थान में विवाह रेखा के उपरी स्थान में कनिष्ठता अंगुली के नीचे स्थित होती है। सन्तान रेखाएँ छोटी – छोटी एवं सूक्ष्म धारियों के रूप में विवाह रेखा से उठकर कनिष्ठिका मूल की ओर जाती है। इन रेखाओं एवं अन्य लक्षणों के आधार पर यह बताया जा सकता है कि जातक के कितने बच्चे है और भविष्य में कितने और होंगे।पुरुषों की बजाय महिलाओं के हाथों में संतान रेखा ज़्यादा स्पष्ट होती है।

 सन्तान के संबंध में विचार करते समय शुक्र क्षेत्र का अध्ययन करना जरूरी होता है,कि शुक्र क्षेत्र के विस्तृत होने से व्यक्ति में सन्तानोत्पादन क्षमता अधिक होती है। यदि क्षेत्र जीवन रेखा व्दारा संकीर्ण कर दिया गया हो और उन्नत न हो कर दबा हुआ हो तो जातक में उस व्यक्ति की अपेक्षा, जिसका शुक्र क्षेत्र विस्तृत और उन्नत हो, सन्तानोत्पादन क्षमता कम होती है।

Palmistry - मणिबन्ध रेखाएँ एवं फल

 मणिबन्ध रेखाएँ एवं फल

मणिबंध रेखाएँ हथेली की ओर कलाई की हड्डी के मोड़ के स्थानों पर हथेली के नीचे कलाई की रेखाए मणिबन्ध रेखाएं कहलाती है, इनकी संख्या सामान्यतःएक से लेकर चार तक हो सकती। किसी – किसी व्यक्ति के हाथो में ये रेखाए कलाई के चारो ओर बंधन सूत्र की तरह अंकित रहती है।यह रेखाए प्राय: श्रंखलाकार (यवमाना की तरह) होती है, कितु इनका स्वरूप दो मोटी रेखाओं से भी बनता है।इसके व्दारा जातक की उम्र, धन, यात्राओं व स्वास्थ्य आदि के बारे में सूचना दर्शाता है।

Palmistry - नाखून (Finger Nails) से भाविष्य फल

Palmistry - नाखून (Finger Nails) से भाविष्य फल

 हाथ के नाखून से व्यक्ति के स्वास्थ्य , जीवन - शक्ति और स्वभाव की पक्की जानकारी मिलती है  

उंगलियों के ऊपर सिरों की संवेदन शीलता बहुत अधिक होती है इसका कारण यह है कि यहाँ स्नायुतंतुओं के अंतिम सिरे अधिकतम मात्रा में विद्यमान होते है। इनकी रक्षा के लिए   नाखून कवच का कार्य करता है। 

हारमोनो की मात्रा, शरीर के खनिज पदार्थ  तथा रक्त के स्तर का कारण नाखून का रंग , आकार , बनावट और चमक बनती है यदि हारमोन आदि सभी आवश्यक तत्व व्यक्ति में ठीक मात्रा में हो तो लगभग 5/6  मास में पुराने नाखून के स्थान पर नया नाखून आ जाता है आयु के प्रभाव के कारण या हारमोनो की कमी या अधिकता से नाखून के बढने की गति कम या अधिक हो सकती है नाखून जड से सिरे की ओर बद्ता है इससे हमे ज्ञात हो सकता है कि नाखून का दोष कब आरम्भ हुआ अर्थात यदि सफेद धब्बा या आड़ी धारी जड के निकट हो तो दोष का आरंभ महीने भर के आसपास हुआ है यदि उंगली के सिरे के निकट हो तो दोष का समय 4 /5 मास के आसपास हुआ है

Palmistry - हाथ का प्रिंट (हाथ की छाप ) लेने की विधि तथा सामान

 



प्रिंट लेने के लिए ये वस्तुए चाहिए :- 

1 - हैंड प्रिंट रोलर, 

2 - वाटर बेस्ड प्रिंटिंग इंक (वाटर बेस्ड इंक की ट्यूब 'साईकलोस्टाइल प्रिंटिंग' के काम आती है यह इंक साबुन व्दारा हाथ से छुट जाती है ),

नोट - प्रिंटिंग प्रेस की आयल बेस्ड इंक हाथ से छुड़ाने के लिए साबुन के साथ मिट्टी के तेल (घासलेट) की भी जरूरत पडती है। 

3 - शीशा या सनमाइका जैसी कोई अन्य चिकनी सतह ,

4 - एक चिकने किस्म का कागज जो हाथ के आकार से तनिक बड़ा हो, 

Palmistry - हाथ देखने का समान्य नियम

 हाथ देखने का समान्य नियम तथा क्रम 

  •  हाथ देखने का सर्वश्रेष्ठ समय प्रातः सूर्योदय से लेकर चार घंटे बाद तक का है उस समय रेखाए स्पष्ट होती है और दिन के उजाले में हाथ का रंग और रेखाओ का रंग ठीक - ठीक दिखाई देता है।
  • अगर दिन का उजाला नही मिल सकता हो, तो पर्याप्त प्रकाश में हाथ देखे, वह सूर्य का हो या बिजली का प्रकाश हो
  • हाथ देखना कहाँ से आरंभ करे ताकि कोई लक्षण चूक न जाए, इसलिए अपनी सुविधा के लिए एक कागज पर वह क्रम लिखकर रख ले जिसके अनुसार हाथ देखना है। 

अंगो पर तिल के होने का महत्त्व






माथा / ललाट पर
  1. माथे के दाहिनी ओर तिल का होना धन हमेशा बढ़ता रहेगा। ऐसे लोग धनी और सुखी होते हैं। किसी भी काम को करने की अद्भुत क्षमता होती है उनमें और सोचने-समझने की शक्ति भी कमाल की होती है।
  2. ललाट के मध्य भाग में तिल का होना भाग्यवान और निर्मल प्रेम की निशानी माना जाता है। ऐसे लोग जिंदगी में काफी सफल होते हैं।
  3. माथे के बायीं ओर तिल का होना फिजूलखर्ची का प्रतीक होता है।ऐसे  लोगों को पैसे की कीमत समझ नहीं आती। एक तरफ से पैसा आए तो दूसरी तरफ से उसे उड़ाने में ये कोई कसर नहीं छोड़ते।

हस्त रेखा - भाग्य रेखा


भाग्य रेखा - हृदय रेखा के मध्य से शुरु होकर मणिबन्ध तक जाती है। इस रेखा का उद्गम अधिकतर मध्यमा या शनि पर्वत से होता है।
  1. यदि किसी व्यक्ति की हथेली में भाग्य रेखा कलाई के पास मणिबंध से प्रारंभ होकर शनि पर्वत तक गई हो और दोष रहित है तो व्यक्ति भाग्यशाली होता है। ऐसे लोग जीवन में हर सफलताएं प्राप्त करते हैं। ऐसा व्यक्ति बहुत महत्वाकांक्षी और लक्ष्य पर केन्द्रित रहने वाला होता है।
  2. यदि हथेली में भाग्य रेखा जीवन रेखा से प्रारंभ हो और दोष रहित है तो ऐसे व्यक्ति खुद की मेहनत से काफी अधिक धन प्राप्त करता है। ऐसे व्यक्ति को अपने जीवन में धन से संबंधित परेशानियों का कभी सामना नहीं करना पड़ता।
  3. जिन लोगों की हथेली में भाग्य रेखा चंद्र क्षेत्र से प्रारंभ हुई है, वे दूसरों की मदद या प्रोत्साहन से सफलता प्राप्त करने वाले हो सकते हैं। और ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में मान-सम्मान भी खूब प्राप्त होता है।
  4. यदि चंद्र पर्वत से निकलकर कोई अन्य रेखा भाग्य रेखा के साथ-साथ चले तो व्यक्ति की शादी अत्यंत धनी परिवार में होती है। वह व्यक्ति किसी स्त्री की मदद से सफलताएं प्राप्त करता है।
  5. यदि भाग्य रेखा हथेली को पार करते हुए मध्यमा उंगली (मिडिल फिंगर) तक जा पहुंचे तो यह अशुभ योग दर्शाती है। ऐसा व्यक्ति खुद की गलतियों से हानि उठाता है।

हस्त रेखा - हृदय रेखा

हथेली पर हृदय रेखा मस्तिष्क रेखा के उपर और अंगुलियों के नीचे होती है (चित्र में रेखा न. 3 ). हथेली में हृदय रेखा का अपना विशिष्ट स्थान है, यह रेखा अधिकांशत विवाह रेखा यानि सबसे छोटी अँगुली के लगभग एक इंच नीचे से निकल कर किसी क्षेत्र पर जा सकती है व किन्हीं भी रेखाओं से इनका संबंध हो सकता है।इसकी समाप्ति स्थान मुख्यतः गुरु पर्वत यानि तर्जनी अंगुली के नीचे होता है, लेकिन कभी-कभी इसका अंत शनि पर्वत या सूर्य पर्वत पर ही हो जाता है। किसी-किसी के हाथ में ये रेखा होती ही नहीं और किसी- किसी की हथेली में इस रेखा का मिलन मस्तिष्क रेखा पर होता है। 

हस्त रेखा - मस्तिष्क रेखा



 हथेली पर मस्तिष्क रेखा, जीवन रेखा के समीप से होती हुई हथेली को आड़ा काटती हुई जाती है। (चित्र में रेखा न. 2 )


मस्तिष्क रेखा के प्रकार एवं प्रभाव 
  • जिस व्यक्ति के हाथ में मस्तिष्क रेखा झुकी हुई होती है,  ऐसा व्यक्ति साहसिक कार्यों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से करने की समझ रखता है। ऐसा व्यक्ति का मस्तिष्क कलात्मक, रचनात्मक एवं शोधपूर्ण गुणों से परिपूर्ण होता है।

हस्त रेखा - जीवन रेखा



 जीवन रेखा - 

हथेली में सामान्यत: तीन मुख्य रेखाएं होती हैं। ये तीन रेखाएं 
1. जीवन रेखा,
2.  मस्तिष्क रेखा 
3.  हृदय रेखा 

चित्र में दर्शाए  गए न, 1  जो रेखा अंगूठे के ठीक नीचे शुक्र पर्वत को घेरे रहती है, वही जीवन रेखा कहलाती है। यह रेखा इंडेक्स फिंगर के नीचे स्थित गुरु पर्वत के आसपास से प्रारंभ होकर हथेली के अंत मणिबंध की ओर जाती है।

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