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Palmistry - मणिबन्ध रेखाएँ एवं फल

 मणिबन्ध रेखाएँ एवं फल

मणिबंध रेखाएँ हथेली की ओर कलाई की हड्डी के मोड़ के स्थानों पर हथेली के नीचे कलाई की रेखाए मणिबन्ध रेखाएं कहलाती है, इनकी संख्या सामान्यतःएक से लेकर चार तक हो सकती। किसी – किसी व्यक्ति के हाथो में ये रेखाए कलाई के चारो ओर बंधन सूत्र की तरह अंकित रहती है।यह रेखाए प्राय: श्रंखलाकार (यवमाना की तरह) होती है, कितु इनका स्वरूप दो मोटी रेखाओं से भी बनता है।इसके व्दारा जातक की उम्र, धन, यात्राओं व स्वास्थ्य आदि के बारे में सूचना दर्शाता है।

 ‘सामुद्रिक तिलक’ का मत है – ‘सामुद्रिक रहस्य’ मे पहली मणिबन्ध रेखा को धन, दूसरी को शास्त्र, तीसरी को भक्ति की रेखा कहा गया है। 

‘सेंट जरमेन’ के मत- “मणिबन्ध रेखाए’ हाथ के उस भाग में अंकित होती है, जो सांसारिक भावनाओं को अर्पित है। इसलिए जो रेखाएँहथेली से नीचे की ओर झुककर मणिबन्ध की ओर जाती है, बहुत कुछ अपने बौध्दिक और नैतिक गुणों को खो देती है। यदि मणिबंध की पहली रेखा स्पष्ट हो, तो जातक की आयु तेईस से अठ्ठाईस वर्ष होती है, दूसरी स्पष्ट होने पर छियालीस से छप्पन वर्ष और तीसरी स्पष्ट होने पर उनत्तर से चौरासी वर्ष होती है। कुछ वृध्द व्यक्तियों के हाथो में चौथी रेखा भी देखने को मिलती है, परन्तु यह निश्चित रूप से नही कहा जा सकती कि वह रेखा है या वृध्दावस्था के कारण त्वचा की झुर्रियां या सिकुडन है।

 ‘कीरो’ ने लिखा है कि मणिबन्ध के संबंध में एक बात ऐसी है, जिसको उन्होंने अपने अनुभव में सत्य पाया है, वह प्रथम मणिबन्ध रेखा के संबंध में है। जब पहली मणिबन्ध रेखा हथेली की ओर उठकर मेहराबदार आकृति ग्रहण कर ले, तो  शरीर के आन्तरिक अंगो में विकार उत्पन्न होते है। 

महिलाओ के हाथो में इस प्रकार की रेखा इस बात की सूचक हैकि सन्तानोत्पादन तथा प्रसव में कष्ट और कठिनाई होती है। पहले वे इस प्रकार के संकेत को अंधविश्वास समझते थे, परन्तु अपने अनुभव में तथ्य को सत्य पाया। एक और बात जो उन्हें यथार्थ मिली, वह यह कि यदि तीनो मणिबन्ध रेखाए स्पष्ट रूप से अंकित हो, तो जातक का स्वास्थ्य बहुत अच्छा होता है व उसके शरीर का गठन सशक्त होता है।अतः यह निष्कर्ष निकलता है कि मणिबन्ध की रेखाओं को विविध विषयों से न जोडकर स्वास्थ्य और संसारिकता से जोड़ना ही उचित होगा।

 मणिबन्ध रेखाओं का फल
  • श्रंखलाकार स्पष्ट उभरी हुई तीन मणिबंध रेखाएँ उत्तम स्वास्थ्य व सशक्त शारीरिक गठन की परिचायक होती है यदि ऐसी रेखाएँ कलाई में तीन अलग – अलग सूत्रों की तरह बंधी हुई हो, तो जातक सौभाग्यशाली, धनवान, स्वस्थ, सुखी और ऐश्वर्यवान होता है। 
  • हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार, यदि व्यक्ति के हाथ में एक मणिबंध रेखा है तो वह 25 वर्ष की आयु को दर्शाती है। इसी तरह रेखाएं 2 हों तो जातक की आयु 50 साल, 3 हो तो 75 और अगर ये रेखाएं 4 हैं तो जातक बेहद सफल, संपन्न और दीर्घायु होता है।
  • यदि मणिबंध की रेखाओं के बीच सुंदर यवमालाएँ बनी हो या जौ के आकार की कड़ीनुमा चिन्ह बना हो तो व्यक्ति भाग्यशाली होता है। 
  • मणिबन्ध रेखाओं का संबंध व्यक्ति के स्वास्थ्य और शारीरिक गठन से है,इसलिए यदि मणिबन्ध रेखाएँ अस्पष्ट हो, तो जातक का शारीरिक गठन ठीक नही होता है, उमसे रोगों की प्रतिरोधक क्षमता का अभाव होता है। 
  • यदि मणिबंध की प्रथम रेखा हथेली की ओर उठी हुई हो, तो जातक को आन्तरिक अंगो की बीमारी और प्रजनन में कष्ट होता है। 
  • यदि मणिबन्ध की दूसरी रेखा भी मेहराबदार होकर ऊपर उठ जाये, तो पहली रेखा के अवगुणों में और अधिक वृध्दि हो जाती है। ऐसी स्थिति में यदि दोनों रेखाए गहरी हो, तो प्रजनन के समय मृत्यु का ख़तरा भी हो सकता है। 
  • टूटी हुई दोषयुक्तमणिबन्ध रेखाएँ मिथ्याभिमान, बेईमानी और दुर्भाग्य की सूचक होती है। यदि तीसरी अंतिम रेखा छोटे व्दीप चिन्हों की श्रंखला से बनी हो तथा अन्य दो रेखाए सामान्य हो, तो आंत संबंधी विकार होते है। 
  • हथेली में जीवन रेखा अच्छी स्थिति में ना हो और मणिबंध शुभ लक्षण वाला है तो व्यक्ति को भाग्य का साथ मिल सकता है, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। 
  • हथेली में मणिबंध का हिस्सा भरा हुआ हो, यहां कलाई की हड्डी दिखाई नहीं देती हो तो यह शुभ लक्षण होता है। मणिबंध का भाग सुन्दर दिखाई देता है तो यह व्यक्ति को भाग्यशाली बनाता है। 
  • मणिबंध से यदि कोई रेखा निकलकर ऊपर की ओर जाती हो तो उसके सोचे सभी कार्य उसके जीवनकाल में पूर्ण हो जाते हैं। 
  • यदि मणिबंध से कोई रेखा निकलकर चंद्र पर्वत की ओर जा रही हो तो वह व्यक्ति कई बार विदेश यात्राएं करता है।
  • मणिबंध रेखा पर स्वस्तिक का चिन्ह सौभाग्य का सूचक है। परंतु मणिबंध रेखा पर बिंदु हों तो जीवनभर पेट के रोगों से परेशान रहता है। 
  • द्वीप का चिन्ह मणिबंध पर हो तो उसे बार-बार दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। यदि दो मणिबंध रेखाएं आपस में मिल जाती हों तो भी दुर्घटना में अंग-भंग होने का योग बनता है। 
  • मणिबंध रेखाओं का रंग नीलापन लिए हुए हो तो व्यक्ति रोगी होता है। पीली मणिबंध रेखाएं विश्वासघात की सूचक है।मणिबंध रेखा गहरी, लाल और स्पष्ट हो तो व्यक्ति की सर्वत्र रक्षा होती है। संकटों से बचाव होता है। 
मणिबन्ध रेखाओं में विभिन्न चिन्ह का फल 

1. क्रास चिन्ह :- यदि पहली मणिबंध रेखा के बीच स्पष्ट क्रास चिन्ह अंकित हो, तो जातक का जीवन कठिनाई में गुजरता है, कितु वृध्दावस्था में उसे वसीयत के रूप में बहुत धन की प्राप्ति होती है और वह बुढ़ापे में सुखी रहता है। यदि इस तरह के क्रास चिन्ह के परिगत त्रिकोण चिन्ह हो, तो जातक को पैतृक सम्पत्ति के रूप में बहुत सम्पत्ति मिलती है और वह सुखी रहता है। 

2. कोण चिन्ह :- पहली मणिबन्ध रेखा में कोण (L) का चिन्ह हो, तो जातक को अप्रत्याशित धन एवं पैतृक सम्पत्ति का लाभ होता है, वह बुढ़ापे में सुखी रहता है. 

3. नक्षत्र चिन्ह : यदि पहली मणिबंध रेखा के मध्य में नक्षत्र चिन्ह हो और हाथ में अन्य लक्षण शुभ हो, तो जातक को पैतृक सम्पती का लाभ होता है, किन्तु यदि हाथ के अन्य लक्षण अशुभ हो, तो जातक बेईमान प्रकृति का होता है।

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