दोस्तो धन और अन्य वस्तुओं का दान करने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। आज भी बहुत से लोग दान करते हैं। दान करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है और दुखों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही, जरूरतमंद लोगों को भोजन और अन्य आवश्यक चीजें भी मिल जाती हैं। दान किसे देना चाहिए, इस पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। जिनके पास पर्याप्त धन और सुख-सुविधाएं हैं, उन्हें छोड़कर उन लोगों की मदद करना चाहिये जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता है। आइये आपको एक सच्चे संत की कहानी से बताते कि दान किसे देना अधिक उचित होता है।
एक समय की बात है, एक संत थे जो केवल एक धोती पहनते थे। उनके पास इस धोती के अलावा कोई अन्य वस्त्र नहीं थी। एक दिन उनकी धोती फट गई, और उन्होंने सोचा कि इसे सिलकर कुछ समय के लिए और उपयोग किया जा सकता है। धोती की मरम्मत के लिए उन्होंने अपनी कुटिया में सुई खोजी, लेकिन संत को सुई नहीं मिली, इसलिए वे बबूल के कांटे से धोती की सिलाई करने का फैसला किया। तभी वहाँ उनका एक भक्त आ गया और बोला, "गुरुदेव, इसे फेंकिए, मैं आपके लिए एक नई धोती ला देता हूँ।"
संत ने भक्त से कहा, "देखो, सामने एक बच्चा खड़ा है, जो ठंड से कांप रहा है। तुम उसके लिए कपड़े ला दो , समझ लो कि मैंने तुम्हारी धोती ले ली। मेरी धोती तो अभी कुछ समय तक चल जाएगी।" संत की बात सुनकर भक्त ने सिर झुका लिया और उस बच्चे के लिए कपड़ों का इंतजाम कर दिया।
दोस्तो इस कहानी हमको संदेश देती है कि हमें उन लोगों की मदद करनी चाहिए, जो सच में जरूरतमंद हैं।