"बाह्य तैयारी"
ध्यान के अनुरूप शांत, एकांत, स्वच्छ स्थान का चुनाव सर्वाधिक उत्तम रहता हैं। समय की निश्चिता को बनाये रखे| वस्त्र सुविधानुसार आरामदेह शीतल हो। आस्रन शारीरिक ऊर्जा को भूमि से अवरोधित करने वाला हो। निद्रा, विश्राम, शौच, स्नान आदि से निवृति पश्चात ही ध्यान करना सर्वोत्तम होता है|
"आंतरिक तैयारी"
ध्यान करने हेतु योगाभ्यासी को निम्नलिखित ४ बिंदुओं पर का अनुशरण नितांत आवश्यक है|
१. प्रत्येक कार्य ईश्वर को साक्षी मानकर पुण्य प्राप्त करने हेतु करें
२. ध्यान का समय नजदीक आने से पूर्व अपने सभी कार्य पूर्ण कर लेवें जिससे कोई विचार बाधा न बनें।
३. स्राधक निम्न संकल्प लेवें-
ऐसी प्रार्थना करते जाइये जब तक हो सके नित्य प्रतिदिन ऐसा ही करें। ईष्वर ने चाहा तो अवस्य आपको ध्यान का आनंद प्राप्त होग
"ध्यान के लाभ"
ध्यान के अनेक दैवीय लाभ हैं-
1 .ध्यान से उच्च एकाग्रता प्राप्त होती है।
2. जिकन व विवेक का वृद्धि होती है।
3. सत्य-असत्य का बोध होता है।
4. बोद्धिक मानस्रिक शक्ति का विकास होता है
5.प्रभु दर्शन का मार्ग प्राप्त होता है।
6. काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ आदि से रहित होता है।
7. स्वस्थ शरीर की प्राप्ति होती है।
8. तनाव, अवसाद से मुक्ति प्राप्त होती है।
ध्यान मनुष्य का सर्वोत्कृष्ट कार्य है|
"ध्यान के अनुभव"