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शनि के दोष एवं दूर करने के उपाय

 

 

सनातन धर्म के अनुसार शनि को सूर्य का पुत्र व एक देवता माना गया एवं  शनिवार का दिन को  शनि देव को समर्पित किया गया  है. शनिदेव को कर्मफल दाता कहा गया है और  ज्योतिष में शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है। यदि किसी ने अनाचार, दुराचार या कोई गलत कार्य नहीं किया है एवं  जो लोग परोपकारी होते हैं, शनि की कृपा से उनके जीवन से हर कष्ट का अंत हो जाता है. साढ़े साती की दशा आने पर भी ऐसे व्यक्ति को शनिदेव  दंड न देकर उस पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं। परन्तु  वहीं न्याय के देवता होने के चलते  वे किसी भी प्रकार से किए गए बुरे कर्म का दंड देते हैं, किसी भी स्थिति में वे किसी को क्षमा नहीं करते, ऐसे में उनके दंड जो परिणाम सामने आते हैं, उसी कारण इन्हें क्रूर माना जाता है। यदि आपने गलती की है, तो शनिदेव आपने न्याय के मामलों में रहम नहीं करते हैं और इसका दंड अवश्य ही भोगना पड़ता है। इसीलिए जिस व्यक्ति पर शनि देव की महादशा का प्रकोप होता है,उसका जीवन नर्क के समान पीड़ादायक हो जाता है, चारों ओर परेशानियों का पहाड़ खड़ा दिखाई देता है. शनि दोष का प्रभाव इतना बुरा होता है कि आसमान पर बैठा व्यक्ति जमीन पर आ जाता है। लेकिन असल में  देखा जाये  तो यह लोगो को केवल उनके बुरे कर्मों के लिए ही दण्डित करते हैं और अच्छे कर्म  होने पर जातक को आसमान की बुलंदियों पर भी पहुंचा देते हैं।  वह उसे रंक से राज बना देते  है। शनि तीनों लोकों का न्यायाधीश है। अतः यह व्यक्तियों को उनके कर्म के आधार पर फल प्रदान करते  है।

 

शनि देव को प्रसन्न करने के लिए अनेकों तरह के उपाय बताए गए हैं. परन्तु शनिदेव कर्मफल दाता एवं न्याय के देवता  है, इसलिए मुख्यतः अपने कर्मो एवं व्यवहारों को सुधार कर शनिदेव को प्रसन्न किया जा सकता है.

आइये जानें शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय.

 

1.       कर्मो द्वारा  उपाय


· कोई भी अनुचित कार्य न करें, बुरी चीजों से दूर रहें। चूकिं शनि को न्याय का देवता है, अत: यदि आप किसी प्रकार के बुरे कर्मों में शामिल नहीं होते हैं, तो माना जाता है कि शनि अपनी दशा आने पर भी ऐसे लोगों पर न्याय के अनुसार दया बरसाते हैं, न कि कोई दंड देते हैं।


· अपनी गलतियों के लिए शनिदेव से माफ़ी मांगे एवं गलतियों को सुधारने का प्रण करे।

· श‍राब का सेवन भूल कर भी न करे .
· कभी भी झूठ व बुराई का साथ नहीं दे एवं हमेशा सच्चाई एवं ईमानदारी के रास्ते पर चले ।
· बुजुर्गों का एवं सेवा करें ।
· घर –परिवार में बड़े बुजुर्गों एवं स्त्रियों का सम्मान करें।
· अहंकार घमंड न करें एवं सबके साथ विनम्र रहें।
· अपने सभी सबंधो के प्रति इमानदार एवंवफादार रहें.
· धोखा किसी के साथ न करे।

2. अन्य उपाय

· प्रत्येक शनिवार को शनि मंदिर में जाएं एवं शनि देव की उपासना करें, ॐ शं शनैश्चराय नमः, यह शनि का मूल मंत्र है इसका जाप जरूर करें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।
· शनिवार के दिन राई, तेल, उड़द, काला कपड़ा, जूते आदि का दान करना चाहिए।
· लोहे की चीजें शनिवार को न खरीदें।
· शनिवार के दिन कटोरी में सरसों का तेल डालकर उसमें अपना चेहरा देखें और उस तेल को दान करें।
· शनिवार के दिन शाम को सूर्यास्त के बाद हनुमान मंदिर में हनुमान जी की अराधना करें व हनुमान चालीसा का पाठ करें एवं उन्हें सिंदूर अर्पित करें और काली तिल्ली के तेल से दीपक जलाएं.
· शनिवार के दिन शाम को सूर्यास्त के पूर्व पीपल या बरगद को जल दें एवं पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाए.
· शनि यंत्र की स्थापना करें. हर रोज इसके सामने सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि यंत्र की विधि-विधान से पूजा करें.
· शहद का सेवन करें, शहद में काले तिल मिलाकर मंदिर में दान करें या शहद को घर में हमेशा रखें।
· शनिवार की शाम को किसी दरिद्र को भरपेट भोजन कराएं. साथ ही उसको कुछ धन एवं काले वस्तुओं का दान करें.
· शनिवार के दिन काले कुत्तों को रोटी खिलाएं
· हमेशा सिर ढक कर ही मंदिर जाएं।
· घर में शमी का वृक्ष लगाएं. यदि यह वृक्ष शनिवार के दिन लगाया जाय तो अति उत्तम होगा.
· शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि यंत्र की स्थापना करें. हर रोज इसके सामने सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि यंत्र की विधि-विधान से पूजा करें.
· यदि कोई जानकार नीलम धारण करने की सलाह भी दे तो भी उनसे पूरी विधि के साथ ही धारण करने का समय, दिन व किन मंत्रों के साथ धारण करनी है, ये पूरी तरह से समझ कर ही इसे पहनें। सावधानी  - रत्न नीलम को कभी भी किसी जानकार के कहे बिना धारण न करें,

 

 

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