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हस्त रेखा - मस्तिष्क रेखा



 हथेली पर मस्तिष्क रेखा, जीवन रेखा के समीप से होती हुई हथेली को आड़ा काटती हुई जाती है। (चित्र में रेखा न. 2 )


मस्तिष्क रेखा के प्रकार एवं प्रभाव 
  • जिस व्यक्ति के हाथ में मस्तिष्क रेखा झुकी हुई होती है,  ऐसा व्यक्ति साहसिक कार्यों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से करने की समझ रखता है। ऐसा व्यक्ति का मस्तिष्क कलात्मक, रचनात्मक एवं शोधपूर्ण गुणों से परिपूर्ण होता है।
  • जिस व्यक्ति की मस्तिष्क रेखा सीधी होती है, वह व्यक्ति व्यावहारिक एवं नियमबद्ध होता है। ऐसा व्यक्ति एक सफल व्यावहारिक व्यापारी भी होता है।
  • यदि किसी व्यक्ति की जीवन रेखा एवं मस्तिष्क रेखा आपस में जुड़ी हुई हों तो ऐसा व्यक्ति जरुरत से अधिक चिन्तन करने वाला होता है, उसमें आत्मविश्वास की कमी होती है एवं भावुक किस्म का होता है। ऐसा व्यक्ति सभी के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करता है।
  • यदि किसी व्यक्ति की मस्तिष्क रेखा जब जीवन रेखा से अलग हटकर प्रारम्भ होती है तो यह रेखा आत्मविश्वास, चिंतन की अपेक्षा कर्म में विश्वास, शक्तिशाली गुण, अधीरता एवं सम्बंधित व्यक्ति में अस्थिर स्वभाव की प्रवृत्ति विधमान होने का संकेत करती है।
  • किसी व्यक्ति की मस्तिष्क रेखा का अन्त यदि प्रशाखाओं के बिना हो, तो यह ध्यान लगा सकने की शक्ति की ओर संकेत करती है। जिसे कि गुरु पतंजलि ने ‘एकाग्रता’ के नाम से वर्णित किया है।
  • यदि किसी व्यक्ति की मस्तिष्क रेखा जब छोटे से शूल के आकार में समाप्त हो रही हो, तो ऐसे व्यक्ति की लेखन सम्बंधित कार्यों में रुचि होती है।
  • यदि किसी व्यक्ति की मस्तिष्क रेखा के अन्त में बड़े आकार का शूल हो तो ऐसा व्यक्ति अस्थिर स्वभाव व मनःस्थिति की प्रवृत्ति वाला होता है। ऐसा व्यक्ति दो कामों में एक साथ हाथ अड़ाने का आदि होता है जिस कारण वह एक ही वस्तु पर आने चित्त को एकाग्र नहीं कर पाता, फलस्वरूप असफलता को प्राप्त करता है।

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