✅ पहला दिन – भागवत महात्म्य, परीक्षित का शाप, शुकदेव आगमन
🔹 भागवत कथा का प्रारंभ
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मंगलाचरण, गुरु वंदना।
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भागवत महात्म्य – इसका श्रवण जीवन को पवित्र करता है।
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कथा की तैयारी – श्रोताओं को पाप से मुक्त करने वाली कथा।
🔹 परीक्षित की कथा
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राजा परीक्षित पांडवों के वंशज थे, धर्मप्रिय राजा थे।
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शिकार करते समय तपस्वी शमी ऋषि के गले में मरा साँप डाल दिया – ऋषि के पुत्र शृंगी ने शाप दिया: “सातवें दिन तक्षक नाग के काटने से मृत्यु।”
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शाप सुन परीक्षित ने राज-पाट त्याग दिया।
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गंगा तट पर उपवास, मृत्यु का स्वागत।
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उन्होंने सोचा – “मरणासन्न व्यक्ति को क्या करना चाहिए?”
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उन्होंने शुकदेव जी को आमंत्रित किया।
🔹 शुकदेव जी का आगमन
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16 साल के ब्रह्मज्ञानी बालक शुकदेव आए।
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सभा में ऋषि-मुनि, देवता भी आए।
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परीक्षित ने विनम्रतापूर्वक पूछा – “हे ब्रह्मज्ञानी! मुझे बताइए, मरने वाला क्या करे?”
✅ दूसरा दिन – सृष्टि वर्णन और धर्म
🔹 शुकदेव जी का उत्तर
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सबसे पहले भगवान का नाम स्मरण करो।
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श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करो।
🔹 सृष्टि की रचना
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ब्रह्मा जी का प्रादुर्भाव कमल से – विष्णुजी की नाभि से।
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भगवान ने आदेश दिया – सृष्टि करो।
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ब्रह्मा ने मनु, सप्तऋषि, प्रजापति उत्पन्न किए।
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14 लोकों की रचना – स्वर्ग, मृत्युलोक, पाताल आदि।
🔹 वर्णाश्रम धर्म
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ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र – समाज व्यवस्था।
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ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास – जीवन के चार आश्रम।
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धर्म पालन का महत्व।
🔹 नारद जी के प्रश्न
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मोक्ष मार्ग कौन सा है?
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भगवान का भजन, सत्संग, कथा श्रवण।
✅ तीसरा दिन – ध्रुव और प्रह्लाद चरित्र
🔹 ध्रुव कथा
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5 साल का बालक ध्रुव – सौतेली माँ ने ताना दिया – “गोद में नहीं बैठ सकता।”
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नारद जी से दीक्षा – “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।”
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घोर तपस्या – 6 महीने में भगवान प्रकट।
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भगवान ने कहा – “तुम्हें अचल ध्रुवलोक मिलेगा।”
🔹 प्रह्लाद कथा
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हिरण्यकशिपु का पुत्र – महान विष्णु भक्त।
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हिरण्यकशिपु ने अत्याचार किए – प्रह्लाद को मारना चाहा।
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विष, सांप, हाथी, ऊँचाई से गिराना – सब व्यर्थ।
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प्रह्लाद का संदेश – “हरि सर्वत्र हैं।”
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नृसिंह अवतार – खंभे से प्रकट होकर हिरण्यकशिपु का वध।
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भक्त की रक्षा का वचन।
✅ चौथा दिन – समुद्र मंथन, अजामिल, ऋषभदेव
🔹 समुद्र मंथन
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देव-दानवों का समझौता।
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मंदराचल पर्वत, वासुकी नाग रस्सी।
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हलाहल विष – भगवान शंकर ने पिया।
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लक्ष्मी प्रकट – श्रीहरि से विवाह।
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धन्वंतरि अमृत कलश।
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मोहिनी रूप – भगवान ने देवताओं को अमृत दिया।
🔹 अजामिल की कथा
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ब्राह्मण अजामिल – वेश्या के प्रेम में पड़ा।
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पापपूर्ण जीवन।
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अंतिम समय “नारायण” पुकारा – बेटे का नाम।
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विष्णुदूत आए – पाप नष्ट हुआ।
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नाम स्मरण से मुक्ति।
🔹 ऋषभदेव उपदेश
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भगवान ने मनुष्यों को शिक्षा दी –
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“भोगों में मत उलझो।”
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“भक्ति और तप करो।”
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“यह जीवन दुर्लभ है – मोक्ष का साधन है।”
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✅ पाँचवां दिन – श्रीकृष्ण जन्म और बाल लीलाएँ
🔹 कंस का अत्याचार
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देवकी-वसुदेव का विवाह।
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आकाशवाणी – “तुझे आठवाँ पुत्र मारेगा।”
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कारागार में बंदी।
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6 पुत्र कंस ने मारे।
🔹 श्रीकृष्ण जन्म
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अष्टमी रात, भाद्रपद – भगवान का प्राकट्य।
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वसुदेव ने यमुना पार कर नंद यशोदा के घर रखा।
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अदला-बदली से कन्या कंस को मिली – दुर्गा प्रकट – “तुझे मारने वाला पैदा हो चुका है।”
🔹 बाल लीलाएँ
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पूतना वध – बालक को मारने आई, पर मोक्ष पाया।
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शकटासुर, तृणावर्त वध।
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माखन चोरी – गोपियों संग हास्य-लीला।
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ग्वाल-बाल संग क्रीड़ा।
✅ छठा दिन – गोवर्धन लीला और रास लीला
🔹 इन्द्र यज्ञ और कृष्ण उपदेश
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इन्द्र की पूजा रोकना।
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गोवर्धन पर्वत की पूजा।
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इन्द्र का क्रोध – वर्षा और आंधी।
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श्रीकृष्ण ने अंगुली पर गोवर्धन उठाया – सभी की रक्षा।
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इन्द्र का पश्चाताप।
🔹 रास लीला
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गोपियों का विरह।
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भगवान ने बंसी बजाई – रास मंडल में सबको साथ लिया।
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गोपी-प्रेम – समर्पण का आदर्श।
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भगवान हर गोपी के साथ अलग रूप में।
🔹 भक्ति का अर्थ
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अहंकार छोड़ना।
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भगवान में पूर्ण प्रेम।
✅ सातवाँ दिन – मथुरा लीला, उद्धव उपदेश, श्रीकृष्ण निवृत्ति
🔹 कृष्ण का मथुरा गमन
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कंस का वध।
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माता-पिता को मुक्त किया।
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गुरुकुल गमन, संदीपनि ऋषि से शिक्षा।
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मृत पुत्र को पुनः जीवित करके लौटाया।
🔹 द्वारका लीला
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जरासंध का बार-बार आक्रमण।
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समुद्र में द्वारका नगरी बसाना।
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रुक्मिणी विवाह।
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अन्य विवाह – 16108 रानियाँ।
🔹 उद्धव को ब्रज भेजना
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गोपियों का प्रेम – विरह।
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उद्धव का चकित होना – गोपी प्रेम सर्वोपरि।
🔹 यादव वंश का विनाश
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ऋषियों का शाप – मूसल यज्ञ।
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आपसी कलह – यादवों का नाश।
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श्रीकृष्ण का जंगल में विश्राम।
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श्रीकृष्ण का पार्थिव देह त्याग – अपने धाम गमन।
🔹 परीक्षित मोक्ष
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शुकदेव जी ने कहा – भगवान के नाम का स्मरण करो।
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परीक्षित ने गंगा किनारे प्राण छोड़े – भगवान के धाम को प्राप्त हुआ।
✅ फलश्रुति (कथा का परिणाम)
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श्रीमद्भागवत कथा सुनने से जीवन पवित्र होता है।
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पापों का नाश होता है।
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भगवान में अनन्य प्रेम होता है।
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मृत्यु के समय भगवान का स्मरण होता है और मोक्ष मिलता है।
🌼 संक्षेप में
भागवत सप्ताह का सार –
“श्रवण, कीर्तन, स्मरण से जीव का उद्धार होता है। भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का रसपान कर आत्मा पावन होती है।”