1. बद्रीनाथ की पूजा अर्चना के लिए पुजारी , शिव पूजा के लिए प्रसिद्ध केरल के नंबूदिरी ब्राह्मणों का एक तबका से ही चुना जाता.
नंबूदरीपाद ब्राह्मण ही बद्रीनाथ के पुजारी सकते हैं. इन्हें शंकराचार्य का वंशज माना जाता है. इन्हें रावल कहते हैं.
2. केरल के नंबूदरीपाद ब्राह्मणों में से रावल का चयन बद्रीनाथ मंदिर समिति ही करती है.
3. इनकी योग्यता कम से कम ये है कि इन्हें वहां के वेद-वेदांग विद्यालय का स्नातक और कम से कम शास्त्री की उपाधि होने के साथ ब्रह्मचारी भी होना चाहिए.
4. बद्रीनाथ में ब्रह्मचारी रहने तक ही कोई ब्राह्मण पुजारी पद पर रह सकता है.
5. उसे पूरे समय ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है, यानी स्त्रियों का स्पर्श भी पाप माना जाता है.
वीडियो को अंत तक देखने के लिए धन्यवाद.