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Dream Interpretation - Body Parts (स्वप्न व्याख्या - शरीर के अंग )

Abdomen / पेट

To see your abdomen in a dream refers to your natural instincts and repressed emotions. There is something in your real life that you "cannot stomach" or have difficulties accepting. You need to get it out of your system. Alternatively, the abdomen may be strictly physiological and you may just be experiencing constipation or indigestion.

एक सपने में अपने पेट का दिखना  अपनी प्राकृतिक प्रवृत्ति और दमित भावनाओं को संदर्भित करता है। आपके वास्तविक जीवन में कुछ ऐसा है जिसे आप "पेट नहीं कर सकते" या कठिनाइयों को स्वीकार करना पड़ता है। आपको इसे अपने सिस्टम से बाहर निकालने की आवश्यकता है। वैकल्पिक रूप से, पेट कड़ाई से शारीरिक हो सकता है और आपको बस कब्ज या अपच का अनुभव हो सकता है।

To dream that you abdomen is exposed, signifies trust and vulnerability. You may be expressing a desire to express your primal emotions/instincts.

PALMISTRY - हाथों में व्दीप (Island) चिन्ह का फल और प्रभाव

हाथों में व्दीप (Island) चिन्ह का फल और प्रभाव 

हाथ की मुख्य रेखाओं व सहायक रेखाओं के अलावा हाथों में व्दीप (Island) हस्त चिन्ह भी हाथों में मौजूद होते है, जिनका हाथ के अध्ययन एवं विश्लेषण में बहुत महत्व है।  यह चिन्ह करतल, अंगुलियों, मणिबंध रेखाओं या अंगूठे के किसी भी भाग पर उपस्थित हो सकते है। यह हस्त चिन्ह की उपस्थिति में हस्तरेखाओं की प्रकृति व गृह क्षेत्रों के प्रभाव आदि पर प्रभाव पड़ता है।

Palmistry - सन्तान रेखा एवं फल

सन्तान रेखाएँ बुधस्थान में विवाह रेखा के उपरी स्थान में कनिष्ठता अंगुली के नीचे स्थित होती है। सन्तान रेखाएँ छोटी – छोटी एवं सूक्ष्म धारियों के रूप में विवाह रेखा से उठकर कनिष्ठिका मूल की ओर जाती है। इन रेखाओं एवं अन्य लक्षणों के आधार पर यह बताया जा सकता है कि जातक के कितने बच्चे है और भविष्य में कितने और होंगे।पुरुषों की बजाय महिलाओं के हाथों में संतान रेखा ज़्यादा स्पष्ट होती है।

 सन्तान के संबंध में विचार करते समय शुक्र क्षेत्र का अध्ययन करना जरूरी होता है,कि शुक्र क्षेत्र के विस्तृत होने से व्यक्ति में सन्तानोत्पादन क्षमता अधिक होती है। यदि क्षेत्र जीवन रेखा व्दारा संकीर्ण कर दिया गया हो और उन्नत न हो कर दबा हुआ हो तो जातक में उस व्यक्ति की अपेक्षा, जिसका शुक्र क्षेत्र विस्तृत और उन्नत हो, सन्तानोत्पादन क्षमता कम होती है।

Palmistry - मणिबन्ध रेखाएँ एवं फल

 मणिबन्ध रेखाएँ एवं फल

मणिबंध रेखाएँ हथेली की ओर कलाई की हड्डी के मोड़ के स्थानों पर हथेली के नीचे कलाई की रेखाए मणिबन्ध रेखाएं कहलाती है, इनकी संख्या सामान्यतःएक से लेकर चार तक हो सकती। किसी – किसी व्यक्ति के हाथो में ये रेखाए कलाई के चारो ओर बंधन सूत्र की तरह अंकित रहती है।यह रेखाए प्राय: श्रंखलाकार (यवमाना की तरह) होती है, कितु इनका स्वरूप दो मोटी रेखाओं से भी बनता है।इसके व्दारा जातक की उम्र, धन, यात्राओं व स्वास्थ्य आदि के बारे में सूचना दर्शाता है।

Palmistry - नाखून (Finger Nails) से भाविष्य फल

Palmistry - नाखून (Finger Nails) से भाविष्य फल

 हाथ के नाखून से व्यक्ति के स्वास्थ्य , जीवन - शक्ति और स्वभाव की पक्की जानकारी मिलती है  

उंगलियों के ऊपर सिरों की संवेदन शीलता बहुत अधिक होती है इसका कारण यह है कि यहाँ स्नायुतंतुओं के अंतिम सिरे अधिकतम मात्रा में विद्यमान होते है। इनकी रक्षा के लिए   नाखून कवच का कार्य करता है। 

हारमोनो की मात्रा, शरीर के खनिज पदार्थ  तथा रक्त के स्तर का कारण नाखून का रंग , आकार , बनावट और चमक बनती है यदि हारमोन आदि सभी आवश्यक तत्व व्यक्ति में ठीक मात्रा में हो तो लगभग 5/6  मास में पुराने नाखून के स्थान पर नया नाखून आ जाता है आयु के प्रभाव के कारण या हारमोनो की कमी या अधिकता से नाखून के बढने की गति कम या अधिक हो सकती है नाखून जड से सिरे की ओर बद्ता है इससे हमे ज्ञात हो सकता है कि नाखून का दोष कब आरम्भ हुआ अर्थात यदि सफेद धब्बा या आड़ी धारी जड के निकट हो तो दोष का आरंभ महीने भर के आसपास हुआ है यदि उंगली के सिरे के निकट हो तो दोष का समय 4 /5 मास के आसपास हुआ है

Palmistry - हाथ का प्रिंट (हाथ की छाप ) लेने की विधि तथा सामान

 



प्रिंट लेने के लिए ये वस्तुए चाहिए :- 

1 - हैंड प्रिंट रोलर, 

2 - वाटर बेस्ड प्रिंटिंग इंक (वाटर बेस्ड इंक की ट्यूब 'साईकलोस्टाइल प्रिंटिंग' के काम आती है यह इंक साबुन व्दारा हाथ से छुट जाती है ),

नोट - प्रिंटिंग प्रेस की आयल बेस्ड इंक हाथ से छुड़ाने के लिए साबुन के साथ मिट्टी के तेल (घासलेट) की भी जरूरत पडती है। 

3 - शीशा या सनमाइका जैसी कोई अन्य चिकनी सतह ,

4 - एक चिकने किस्म का कागज जो हाथ के आकार से तनिक बड़ा हो, 

Palmistry - हाथ देखने का समान्य नियम

 हाथ देखने का समान्य नियम तथा क्रम 

  •  हाथ देखने का सर्वश्रेष्ठ समय प्रातः सूर्योदय से लेकर चार घंटे बाद तक का है उस समय रेखाए स्पष्ट होती है और दिन के उजाले में हाथ का रंग और रेखाओ का रंग ठीक - ठीक दिखाई देता है।
  • अगर दिन का उजाला नही मिल सकता हो, तो पर्याप्त प्रकाश में हाथ देखे, वह सूर्य का हो या बिजली का प्रकाश हो
  • हाथ देखना कहाँ से आरंभ करे ताकि कोई लक्षण चूक न जाए, इसलिए अपनी सुविधा के लिए एक कागज पर वह क्रम लिखकर रख ले जिसके अनुसार हाथ देखना है। 

शकुन एवं अपशकुन - छिपकली सबंधी

शकुन एवं अपशकुन - छिपकली सबंधी

  • भौंह पर छिपकली गिरना -  धन हानि।
  • दाहिनी आंख पर छिपकली गिरना - किसी दोस्तत से मुलाकात होगी।
  •  बाईं आंख पर छिपकली गिरना  -  जल्द ही कोई बड़ी हानि होगी।
  • कंठ पर छिपकली गिरना - शत्रुओं का नाश होगा।
  • दाहिने कंधे पर छिपकली गिरना  -   विजय की प्राप्ति 
  •  बाएं कंधे पर  छिपकली गिरना  -   नए शत्रु बनते हैं।
  •  दाहिनी भुजा पर छिपकली गिरना  - तो धन लाभ मिलता है।
  •  बायीं भुजा पर छिपकली गिरना  -  संपत्ति छिनने की आशंका बढ़ती है। 

अंगो पर तिल के होने का महत्त्व






माथा / ललाट पर
  1. माथे के दाहिनी ओर तिल का होना धन हमेशा बढ़ता रहेगा। ऐसे लोग धनी और सुखी होते हैं। किसी भी काम को करने की अद्भुत क्षमता होती है उनमें और सोचने-समझने की शक्ति भी कमाल की होती है।
  2. ललाट के मध्य भाग में तिल का होना भाग्यवान और निर्मल प्रेम की निशानी माना जाता है। ऐसे लोग जिंदगी में काफी सफल होते हैं।
  3. माथे के बायीं ओर तिल का होना फिजूलखर्ची का प्रतीक होता है।ऐसे  लोगों को पैसे की कीमत समझ नहीं आती। एक तरफ से पैसा आए तो दूसरी तरफ से उसे उड़ाने में ये कोई कसर नहीं छोड़ते।

व्रत एवं पूजन विधि - करवा चौथ व्रत विधि

करवा चौथ

उत्तर-पूर्वी भारत में प्रशिद्ध करवा चौथ के व्रत वैवाहित स्त्रियों में प्रशिद्ध है| यह व्रत निर्जला ही किया जाता है। इस दिन समस्त स्त्रियाँ अपने-अपने पतियों की लम्बी उम्र के लिए भगवान शिव और गौरी की आराधना करतीं है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चौथी तिथि को मनाया जाता है। भारत के कई स्थानों पर इस पर्व को करवा के नाम से भी जाना जाता है|

करवा चौथ व्रत विधि

श्री करक चतुर्थी का यह व्रत करवा चौथ के नाम से प्रसिद्ध है। पंजाब , उतरप्रदेश , मध्यप्रदेश और राजस्थान का प्रमुख पर्व है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। सौभाग्यवती स्त्रियाँ अपने पति के रक्षार्थ इस व्रत को रखती है। गोधुली की वेला यानी चंद्रयोदय के एक घंटे पूर्व श्री गणपति एवं अम्बिका गोर, श्री नन्दीश्र्वर, श्री कार्तिकेयजी , श्री शिवजी फ्रदेवी माँ पार्वतीजी के प्रतिप , प्रधान देवी श्री अम्बिका पार्वतीजी और

वास्तु ,वास्तुशास्त्र एवं दिशाएं



वास्तु - वास्तु संस्कृत भाषा का शब्द है । महान् विद्वान् वामन शिवराम आप्टे द्वारा रचित संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष में वास्तु शब्द का विश्लेषण इस प्रकार बताया गया है । पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा वस् धातु में तुण प्रत्यय लगकर वास्तु शब्द का निर्माण हुआ है । इसका अर्थ है - घर बनाने की जगह, भवन, भूखण्ड, स्थान, घर, आवास, निवास, भूमि । वस् धातु, तुण प्रत्यय से, नपुंसक लिंग में वास्तु शब्द की निष्पत्ति होती है।

चीन, हांगकांग, सिंगापुर, थाईलैण्ड, मलेशिया आदि देशों में वास्तुशास्त्र को फेंगशुई के नाम से जाना जाता है। लेटिन भाषा में वास्तुशास्त्र को ‘जियो मेशि’ कहा जाता है । तिब्बत में वास्तुशास्त्र को बगुवातंत्र कहते हैं। अरब में इसे रेत का शास्त्र कहते हैं।

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